(अजमेर) नवीन आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन के लिए गठित जिला स्तरीय संचालन समिति की बैठक जिला मजिस्ट्रेट डॉ. भारती दीक्षित की अध्यक्षता में आयोजित हुई।
इसमें मोटर वाहन दुर्घटना दावा अधिकरण के न्यायाधीश नीरज उपाध्याय ने नवीन कानूनों के विभिन्न प्रावधानों की उपादेयता पर विचार व्यक्त किए। पुलिस अधीक्षक देवेन्द्र कुमार ने नए कानूनों को अपराधियों के लिए कड़ी सजा के प्रावधान वाले बताया।
जिला मजिस्ट्रेट डॉ. भारती दीक्षित ने कहा कि सरकार द्वारा भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 को आगामी एक जुलाई से लागू किया जाएगा। इसके लिए जिला स्तरीय संचालन समिति गठित की गई है। इसकी बैठक में इन कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन पर चर्चा की गई। पुराने तथा नए कानूनों के प्रावधानों पर तुलनात्मक रूप से विचार विमर्श किया गया। प्रशासन, अभियोजन, पुलिस तथा न्याय विभाग से जुड़े अधिकारियों एवं कार्मिकों की संयुक्त संगोष्ठी आयोजित कर जानकारी प्रदान की जाएगी।
उन्होंने कहा कि नए कानून हमारे संविधान में अंतर्निहित न्याय की अवधारणा के अनुरुप हैं, जिनका उद्देश्य देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार लाना है। पुराने कानून ब्रिटेन की विरासत थे, जिन्हें औपनिवेशिक शासकों ने भारत में अपने राज को कायम करने और मजबूत करने के लिए लागू किया था। नए कानून नागरिक केंद्रित, पीड़ित केंद्रित और महिलाओं तथा बच्चों के खिलाफ अपराधों के प्रति संवेदनशील हैं, जिनमें ‘देशद्रोह’, आतंकवादी कृत्य, माँब लिंचिंग, संगठित अपराध, छोटे संगठित अपराध, झपटमारी आदि नए अपराधों को शामिल किया गया है।
अभियोजन विभाग के उप निदेशक हेमन्त कुमार सिंधी ने कहा कि भारतीय दंड संहिता में राजद्रोह की धारा से संबंधित औपनिवेशिक विरासत को भारतीय न्याय संहिता संहिता 2023 में हटा दिया गया है। पूर्ववर्ती धारा 124ए (देशद्रोह) को निरस्त करना एक सकारात्मक कदम है, जो सरकार के असंतुष्टों और आलोचकों के खिलाफ दुरुपयोग की चिंताओं को संबोधित करता है। नए कानूनी ढांचे में समावेशिता और समानता को बढ़ावा देते हुए लिंग- तटस्थ भाषा को शामिल करता है। भ्रष्ट सिविल सेवकों पर मुकदमा चलाने के लिए समयबद्ध मंजूरी प्रदान करना प्रभावी कानूनी प्रक्रिया सुनिश्चित करता है। यानी यह जवाबदेही को बढ़ावा देता है और कदाचार के आरोपों को संबोधित करने में अनुचित देरी को रोकता है।
उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता में राजद्रोह की धाराओं से संबंधित औपनिवेशिक विरासत को बीएनएस 2023 में हटा दिया गया है। नए कानून देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के लिए हमारे संविधान में अंतर्निहित न्याय की अवधारणा को स्थापित करते हैं। पुराने कानून ब्रिटिश विरासत के थे। इन्हें औपनिवेशिक शासकों द्वारा देश में प्रशासन को लागू करने और मजबूत करने के लिए लागू किया गया था। भारतीय न्याय सहिता भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कायोर्ं को स्पष्ट रूप से परिभाषित करके. स्पष्टता लाता है। यह औपनिवेशिक युग की भाषा को स्वतंत्र भारत के लोकतांत्रिक हितों के साथ अधिक संरेखित शब्दों से प्रतिस्थापित करता है।
उन्होंने कहा कि नए कानूनों में शक्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों को शामिल किया गया है, कानून प्रवर्तन कायोर्ं में जवाबदेही और पारदर्शिता पर जोर दिया गया है। तलाशी और जब्ती अभियानों की ऑडियो-वीडियो रिकॉडिर्ंग का नया प्रावधान पारदर्शिता सुनिश्चित करता है। पुलिस की जवाबदेही को बढ़ावा देता है और व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा करता है। ई-एफआईआर का प्रावधान पहुंच को बढ़ाता है, जिससे व्यक्तियों को कहीं से भी शिकायत दर्ज करने, बाधाओं को कम करने और समय पर कानूनी उपचार सुनिश्चित करने की अनुमति मिलती है।
इस खबर को AYN Team ने
संपादित नहीं किया है, यह
खबर राजस्थान सरकार के सुचना एवं जनसंपर्क विभाग के प्रेस रिलीज़ के अनुसार
प्रकाशित की गई है।
No comments:
Post a Comment