डॉ राजवीर कुलदीप, प्रोफ़ेसर, श्वास एव क्षय रोग विभाग,
नोडल ऑफिसर, राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP)
जे एल एन मेडिकल कॉलेज, अजमेर
मोबाइल नम्बर : 8949035064
ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) जिसे आमतौर में क्षय रोग भी कहते है, एक संक्रामक वायु जनित रोग है जो मुख्य रूप से माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण होता है जो अक्सर फेफड़ों को प्रभावित करता है। टीबी रोग खांसने, छींकने और थूकने से हवा के माध्यम से फैलता है। टीबी दुनिया भर में लाखों लोगों को तबाह कर रही है, जिसकी वजह से स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक स्तर पर गंभीर परिणाम सामने आ रहे है ।
आज विश्व क्षय रोग दिवस के अवसर पर डॉ राजवीर कुलदीप, आचार्य एव नोडल ऑफिसर, श्वास एव क्षय रोग विभाग, जेएलएन मेडिकल अजमेर ने बताया कि वैश्विक स्तर पर अभी भी टीबी रोग मृत्यु के संक्रामक कारणों में से नंबर एक जानलेवा बीमारी है। दुनिया भर की लगभग एक-चौथाई आबादी टीबी से संक्रमित है। वैश्विक तौर पर टीबी का प्रभाव कम और मध्यम आय वाले देशों में अत्यधिक देखने को मिलता है, इसके बावजूद भी टीबी से पीड़ित रोगियों की संख्या विश्वभर में लगभग 170 करोड़ है, जिनमें से 58.7 करोड़ पीड़ित दक्षिण पूर्व एशिया में रहते हैं। भारत में, लगभग 25,90,000 लोग टीबी से पीड़ित हैं, जिसका मतलब है कि हर एक लाख भारतीय आबादी में से 188 लोग टीबी से संक्रमित हैं।
डॉ राजवीर ने बताया कि विश्व क्षय रोग दिवस एक वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम है जो 1982 से हर साल 24 मार्च को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य क्षय रोग (टीबी) के नियंत्रण की दिशा में हासिल की गई उपलब्धियों को याद दिलाना और संजोना है । यह दिन सभी स्वास्थ्य कर्मियो को टीबी एव इसके प्रति एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस को समाप्त करने के वैश्विक अभियान में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस वर्ष विश्व क्षय रोग दिवस का विषय है "Yes! We Can End TB: Commit, Invest, Deliver.” (“हाँ! हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं: प्रतिबद्ध हों, निवेश करें, परिणाम दें”)। यह विषय सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बन चुके टीबी को समाप्त करने के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता, अधिक वित्त पोषण तथा तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है, जिसमें दवा प्रतिरोधी टीबी (एमडीआर टीबी ) के बढ़ते खतरे का मुकाबला करना भी शामिल है।
डॉ राजवीर ने बताया कि टीबी के प्रमुख लक्षणों में दो सप्ताह से लंबी खांसी, शाम के समय बुखार का आना, रात के समय पसीना आना एव वजन का कम होना है । इन लक्षणों को 4S Symptoms of TB भी कहते है। इन लक्षणों के आधार पर टीबी की प्रारंभिक स्क्रीनिंग की जाती है एव मरीज की जांच के आधार पर टीबी पाए जाने पर उसका आगे का इलाज नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में मुफ्त में किया जाता है। भारत सरकार ने टीबी रोगियो के बेहतर स्वास्थ्य लाभ के लिए निक्षय पोषण योजना (Nikshay Poshan Yojana) की शुरुआत की जिसके अंतर्गत टीबी रोगियों को पोषण संबंधी सहायता के लिए हर महीने 1000 रुपये सीधे उनके बैंक खाते में हस्तांतरित किए जाते है ।
डॉ राजवीर लगभग 10 वर्षों से राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के नोडल ऑफिसर के रूप में अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे है । उन्होंने बताया कि भारत ने राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के अंतर्गत टीबी उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया है । भारत में इंडिया टीबी रिपोर्ट्स के अनुसार 2015 से 2023 तक टीबी के नए रोगियो की संख्या में 17.7% की उल्लेखनीय गिरावट आई है । यह दर वैश्विक औसत गिरावट 8.3% से दोगुनी से भी अधिक है, जैसा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2024 में बताया है। यह उपलब्धि भारत के राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के बेहतरीन कार्यान्वयन को उजागर करती है, जो 2025 तक टीबी उन्मूलन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के बेहतरीन कार्यान्वयन की वजह से ही संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals : यूएन-एसडीजी) के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में भारत ने एसडीजी की तय समय सीमा 2030 से पांच वर्ष पहले ही 2025 तक "टीबी को समाप्त" करने के लक्ष्य को प्राप्त करने का संकल्प लिया है।
“2025 तक टीबी को समाप्त करने” के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मार्च 2018 में नई दिल्ली में आयोजित “टीबी समाप्त शिखर सम्मेलन” “(End TB Summit)” के दौरान व्यक्त किया था । इस शिखर सम्मेलन में, प्रधानमंत्री ने टीबी के लिए निर्णायक और पुनर्जीवित प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर जोर दिया। भारत सरकार द्वारा दिखाई गई मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता के अनुरूप, राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) टीबी उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (National Strategic Plan : NSP) को लागू कर रहा है। एनएसपी 2017-2025 ने लक्ष्यों और उपलब्धियों के बीच के अंतर को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, और भारत वैश्विक स्तर पर बोझ अनुमान (burden estimation of tuberculosis) के लिए गणितीय मॉडल विकसित करने वाला पहला देश है ।
सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान (पीएमटीबीएमबीए) की शुरुआत ने टीबी के खिलाफ लड़ाई में सामुदायिक भागीदारी और स्वामित्व को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है । इस पहल को व्यापक समर्थन मिला, एव राजनीतिक नेताओं, सरकारी अधिकारियों और गैर सरकारी संगठनों ने इसकी पहुंच बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियानों और कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग भी लिया। उल्लेखनीय रूप से, 1.5 लाख से अधिक निक्षय मित्रों ने टीबी से प्रभावित व्यक्तियों की सहायता करने का संकल्प लिया है। वकालत, संचार, सामाजिक लामबंदी और सामुदायिक जुड़ाव राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के मूलभूत पहलू बने हुए हैं, जिसे टीबी उन्मूलन में समुदाय-आधारित प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए पीएमटीबीएमबीए के माध्यम से और मजबूत किया गया है।
डॉ राजवीर ने बताया कि टीबी उन्मूलन की दिशा में कई तरह के अभियान चलाये जा रहे हैं जिनमे वयस्क बीसीजी टीकाकरण पर रिसर्च करना, टीबी के उपचार के लिए New and Shorter regimen सहित टीबी प्रिवेंटिव ट्थेरेपी (टीपीटी) का विस्तार करना, व्यापक रिकॉर्डिंग और रिपोर्टिंग तंत्र के साथ-साथ सभी टीबी सस्पेक्ट व्यक्तियों के लिए NAAT परीक्षण तक पहुंच बढ़ाना, “आयुष्मान आरोग्य मंदिरों” तक टीबी सेवा वितरण का विकेंद्रीकरण तथा पीएमटीबीएमबीए पहल के माध्यम से समुदाय-आधारित रोगी सहायता प्रणालियों को बढ़ाना शामिल है।
निष्कर्ष
भारत का व्यापक टीबी उन्मूलन दृष्टिकोण सकारात्मक परिणाम दिखा रहा है, जिसमें टीबी के नए मरीजों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट और एक मजबूत स्वास्थ्य प्रतिक्रिया ढांचा है। विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी, नवोन्मेषी देखभाल समाधानों और सामुदायिक सहभागिता पर निरंतर जोर देने के साथ, भारत 2025 तक टीबी मुक्त राष्ट्र के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए अच्छी स्थिति में है। यह प्रगति वैश्विक स्वास्थ्य पहलों के प्रति देश की प्रतिबद्धता और राष्ट्रीय स्तर पर टीबी से निपटने में सहयोगी, नवोन्मेषी और रोगी-केंद्रित स्वास्थ्य देखभाल रणनीतियों की शक्ति को रेखांकित करती है।
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