Wednesday, February 26, 2025

संभवतः यह राजस्थान ही नहीं, देश के संसदीय इतिहास में पहला ऐसा दुर्योग, विपक्ष का सदन में ऐसा आचरण (तीन)

बेदाग छवि वाले विधानसभा अध्यक्ष देवनानी पर राजनीतिक कीचड़ क्यों उछाला?

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के बारे में खुलेआम किया अपशब्दों का प्रयोग

डोटासरा को अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता पायलट से अच्छे आचरण की सीख लेनी चाहिए



प्रेम आनन्दकर, अजमेर

8302612247


विधानसभा अध्यक्ष का पद संवैधानिक होने के बावजूद क्या उन पर राजनीतिक कीचड़ उछाला जा सकता है। क्या विधानसभा अध्यक्ष के बारे में खुलेआम अपशब्द कहे जा सकते हैं। क्या उन पर मुख्यमंत्री बनने के लिए लालायित होने जैसे आरोप लगाए जा सकते हैं। लेकिन यह सब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा ने किया है। उन्हें पूर्व उप मुख्यमंत्री, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, कांग्रेस के मौजूदा राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट से सीख लेनी चाहिए, जो अपनी पूरी बात भी कह देते हैं, लेकिन कभी भी आपा नहीं खोते हैं, गरिमा और शालीनता का ध्यान रखते हैं। राजस्थान विधानसभा में उपजे गतिरोध और बजट सत्र से लगातार विपक्ष के वाक्आउट को लेकर उन्होंने अपनी बात मीडिया के सामने बड़ी शालीनता से कही। उन्होंने वह सब बात कह दी, जो डोटासरा कह रहे हैं। पायलट ने एक बार भी विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के बारे में कोई टीका-टिप्पणी नहीं की, किंतु सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत को लपेटने में कोई कमी नहीं छोड़ी। जबकि डोटासरा ने सदन के अंदर भाषा की सारी मर्यादाओं को तोड़ दिया। सदन स्थगित होने के बाद जब कांग्रेस के विधायक धरना दे रहे थे, तब डोटासरा ने देवनानी की कुर्सी की ओर इशारा करते हुए कहा कि ’’यह मुझसे माफी मंगवाना चाहता है। इसके बाप की जागीर नहीं जो मैं माफी मांग लूं। माफी मांगे मेरा जूता। यह आदमी तो माफी के लायक नहीं है।’’ सदन की कार्यवाही के दौरान जब देवनानी ने नियम 295 पढ़ा, तो इस पर डोटासरा ने कटाक्ष किया, ’’इसका 295 मैं पढ़वा देता हूं।’’ सदन की कार्यवाही को स्थगित करने डोटासरा फिर बोले, तू (देवनानी) परमानेंटेट ही चला जा, जो सम्मान के लायक नहीं, उससे जूते से बात की जाती है, इसे कुर्सी पर नहीं बैठने देगें।’’ इस तरह अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल सदन में हो तो सहज अंदाज लगाया जा सकता है कि सदन की गरिमा कैसे बनी रह सकती है। यही नहीं, डोटासरा सदन से बाहर मीडिया से कहा, ’’देवनानी खुद मुख्यमंत्री बनना चाहता है ,इसलिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की भी नहीं सुन रहा।’’ डोटासरा आप विधायक तो हैं ही, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं और शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं, क्या आपको इतनी भी समझ, सभ्यता और शिष्टाचार नहीं है कि अपने से बड़ों और आसन से कैसे बात की जाती हैl डोटासरा के इस रवैये को देखते हुए देवनानी ने उन्हें और पांच अन्य विधायकों को विधानसभा सत्र की शेष अवधि तक के लिए सस्पेंड किया था। डोटासरा को यह पता नहीं है कि सदन, आसन और अध्यक्ष की गरिमा क्या होती है। राजनीतिक विचारधारा अलग हो सकती है और मतभेद हो सकते हैं, लेकिन इसका यह मतलब थोड़े ही है कि संवैधानिक पद की गरिमा और मर्यादा को तार-तार कर दिया जाए। यदि सदन और आसन की मर्यादा ही नहीं रखी जाएगी, तो फिर नौकरशाही कब विधानसभा, आसन और अध्यक्ष का आदर करेगी। कांग्रेस विधायक और पार्टी भले ही खुश हो ले, लेकिन याद रखिए, आज आप जो बबूल की फसल बो रहे हैं, इसे आपको भी काटनी पड़ेगीl

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