विश्व सीओपीडी दिवस आज - स्पाइरोमेट्री के द्वारा सीओपीडी के जल्दी निदान एवं त्वरित उपचार से गुणवत्ता युक्त जीवन संभव है ।
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) एक रोकथाम योग्य और इलाज योग्य बीमारी है जिसके प्रमुख लक्षण रोगी की सांस फूलना, लगातार बलगम बनना, खांसी आना, फेफड़ों में जकड़न एवं थका हुआ महसूस होना है । सीओपीडी वर्तमान में दुनिया भर में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है और सामान्य आबादी में, विशेष रूप से कम संसाधन वाले विकासशील देशों में यह अत्यधिक प्रचलित है ।
विश्व सीओपीडी दिवस के अवसर पर श्वास रोग विभाग, जे एल एन मेडिकल कॉलेज अजमेर के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ राजवीर कुलदीप ने बताया की लगभग 20 में से 1 भारतीय सीओपीडी से पीड़ित है । यह फेफड़ों की एक प्रगतिशील बीमारी है जो रोगी की सांस लेने की क्षमता को सीमित कर सकती है । सीओपीडी के कारण प्रति वर्ष वैश्विक स्तर पर तीन मिलियन लोगों की मौत हो जाती है । दुनिया की बढ़ती आबादी और तंबाकू के धुएं जैसे जोखिम कारकों के निरंतर संपर्क के कारण यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है । तम्बाकू के धुएं और सांस के जरिए अंदर जाने वाले अन्य जहरीले कणों और गैसों के संपर्क में आना सीओपीडी के लिए मुख्य जोखिम कारक हैं, हालाँकि हाल के शोध से यह निष्कर्ष निकला है कि सीओपीडी आनुवंशिक और पर्यावरणीय जोखिम कारकों के संयोजन से उत्पन्न होता है, जो की गर्भाशय से शुरू होकर शैशव और किशोरावस्था तक जारी रहता है । हमारे फेफड़े गर्भ से लेकर युवावस्था तक निरंतर बढ़ते रहते हैं । इस पूरी अवधि के दौरान हमारे फेफड़े वायु प्रदूषण और बार बार होने वाले श्वसन संक्रमण जैसे अपमानों के प्रति संवेदनशील होते हैं जो की फेफड़ों के विकास में बाधा डाल सकते हैं और बाद के जीवन में फेफड़ों की पुरानी बीमारी के दोबारा विकसित होने का खतरा बढ़ा सकते हैं । फेफड़े की कार्यप्रणाली न केवल फेफड़ों के स्वास्थ्य का, बल्कि हमारे समग्र स्वास्थ्य का भी सूचक है । यहां तक की फेफड़ों की कार्यक्षमता में छोटी सी कमी भी श्वसन और गैर-श्वसन संबंधी बीमारियों से होने वाली मृत्यु के जोखिम को बढ़ा देती है ।
डॉ राजवीर ने बताया की विश्व सीओपीडी दिवस का आयोजन ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज (गोल्ड संस्था) द्वारा दुनिया भर में हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स एवं सीओपीडी रोगी समूहों के सहयोग से किया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य सीओपीडी के प्रति जागरूकता बढ़ाना, दुनिया भर में सीओपीडी के लिए नए ज्ञान और नवीन चिकित्सीय रणनीतियों को प्रस्तुत करना है एवं वैश्विक स्तर पर सीओपीडी के बोझ को कम करने के तरीकों पर चर्चा करना है ।
पहला विश्व सीओपीडी दिवस 2002 में आयोजित किया गया था। प्रत्येक वर्ष 50 से अधिक देशों में विश्व सीओपीडी दिवस पर गतिविधियाँ आयोजित कीं जाती है, जिससे यह दिन दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण सीओपीडी जागरूकता और शिक्षा कार्यक्रमों में से एक बन गया है । प्रत्येक वर्ष गोल्ड संस्था विश्व सीओपीडी दिवस के अवसर पर एक थीम चुनता है और सीओपीडी से संबंधित सामग्री और संसाधनों की तैयारी और वितरण का समन्वय करता है । इस वर्ष 23वां वार्षिक विश्व सीओपीडी दिवस 20 नवंबर, 2024 दुनियाभर में मनाया जायेगा । इस वर्ष विश्व सीओपीडी दिवस के लिए थीम है "अपने फेफड़ों के कार्य को जानें।" (Know your lung function)। इस वर्ष की थीम का उद्देश्य फेफड़ों की कार्यप्रणाली को मापने के महत्व को उजागर करना है, जिसे स्पाइरोमेट्री भी कहा जाता है ।
स्पाइरोमेट्री एक सामान्य परीक्षण है जो यह मापता है कि आपके फेफड़े कितनी अच्छी तरह काम करते हैं । एक व्यक्ति कितनी और कितनी जल्दी हवा अंदर ले सकते हैं और छोड़ सकते हैं, इसका मूल्यांकन करके स्पाइरोमेट्री फेफड़ों की कार्यादक्षता को मापता है । इसका उपयोग अस्थमा एवं सीओपीडी जैसी फेफड़ों की स्थिति के निदान और निगरानी में मदद के लिए किया जाता है । यद्यपि स्पाइरोमेट्री सीओपीडी के निदान के लिए एक अभिन्न उपकरण है, लेकिन इसका उपयोग जीवन भर फेफड़ों के स्वास्थ्य को मापने के लिए भी किया जा सकता है । स्पाइरोमेट्री द्वारा जीवन भर फेफड़ों की कार्यप्रणाली को मापने से सीओपीडी के शीघ्र निदान और त्वरित चिकित्सीय उपचार के अवसर मिल सकते हैं । इसलिए समय पर चिकित्सकीय उपचार मिलने से सीओपीडी से शरीर पर होने वाले दुष्प्रभाव को भी कम किया हा सकता है ।
सीओपीडी के बोझ को कम करने और फेफड़ों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की पहल दुनिया भर में हो रही है। जिसमें धूम्रपान-निषेध कार्यक्रम, इनडोर और आउटडोर दोनों प्रकार के वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई और साथ में ही बचपन में बार बार श्वसन संक्रमण से होने वाले नुकसान कारकों की जांच करना भी इसमें शामिल है । हालाँकि सीओपीडी का कोई वर्तमान जड़ मुक्त इलाज नहीं है, लेकिन इसे रोकने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स के द्वारा बहुत सारे उपाय किए जा रहे है, जिसमें प्रमुख रूप से नागरिकों के द्वारा स्वच्छ वायु युक्त वातावरण को बनाए रखने के प्रति जागरूक करना है ।
इसके अलावा रोगी और उनके परिवार को सीओपीडी पर अधिक शोध और मरीज की बेहतरीन देखभाल करने के लिए प्रेरित करना है, जिसमें आवश्यक दवाएं, नियमित स्पिरोमेट्री स्क्रीनिंग और दूरस्थ क्षेत्रों में रोगियों के लिए टेलीहेल्थ की सुविधा जैसे अन्य उपचार शामिल हैं । इसके अलावा, प्रदाता और नीति निर्माता स्पाइरोमेट्री तक पहुंच में सुधार के लिए मिलकर काम कर सकते हैं और स्पाइरोमेट्री का जीवन के सभी चरणों में श्वसन रोगों के निदान के साथ साथ एक सामान्य स्वास्थ्य मार्कर के रूप में उपयोग विकसित किया जा सकता है ।
डॉ राजवीर कुलदीप, एसोसिएट प्रोफ़ेसर
श्वास रोग विभाग, जे एल एन मेडिकल कॉलेज, अजमेर
मोबाइल नम्बर : 8949035064
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