-जिस पुष्कर में भ्रष्टाचारियों पर लगाम कसने की बात कही, उसी पुष्कर में नगर पालिका का सहायक लेखा अधिकारी रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया
-पुष्कर के प्रदीप अग्रवाल जैसे हजारों-सैकड़ों ’’शूरवीर’’ राजस्थान और देश में भरे पड़े हैं
-रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों पकड़े जाने के बाद सस्पेंड करने की बजाय सीधे नौकरी से बर्खास्त क्यों नहीं किए जाते
-रिश्वतखोर व कमीशनखोर ’’शूरवीरों’’ को ’’बहादुरी’’ के लिए पुरस्कार दिए जाने की योजना भी शुरू कीजिए
प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अप्रैल को पुष्कर में आयोजित चुनावी आमसभा को संबोधित करते हुए कहा कि वे अपने अगले कार्यकाल में भ्रष्टाचारियों की लगाम कसेंगे। बहुत अच्छी बात है मोदी जी। लेकिन शायद आपको किसी ने यह नहीं बताया होगा कि जिस धार्मिक नगरी पुष्कर में आपने ’’मोदीनाद’’ और ’’सिंहनाद’’ किया है और अगले कार्यकाल का ट्रेलर भी बता दिया है, उसी नगरी में आपकी सभा से दो दिन पहले ही नगर पालिका का सहायक लेखा अधिकारी प्रदीप अग्रवाल करीब 50 हजार रूपए की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों पकड़ा गया। यह राशि उसने एक ठेकेदार से बिल पास करने की एवज में ली थी। मोदी जी, राजस्थान ही नहीं, पूरे देश में यह पहला मामला नहीं है।
इस तरह के हजारों-सैंकड़ों-अनेकों मामले राजस्थान और देश में होते हैं। अव्वल तो यह बात अभी तक समझ में नहीं आती है कि बिल पास करना और लेखा-जोखा रखना वित्तीय सलाहकार, मुख्य लेखा अधिकारी, लेखा अधिकारी, सहायक लेखा अधिकारी और लेखापाल का काम होता है, तो वे फिर कमीशन या रिश्वत किस बात की लेते हैं। मोदी जी, पुष्कर नगर पालिका की घटना तो महज एक बानगी है। अजमेर जिले में अजमेर नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण, किशनगढ़ नगर परिषद, केकड़ी नगर परिषद, ब्यावर नगर परिषद, सरवाड़ नगर पालिका, बिजयनगर नगर पालिका, नसीराबाद नगर पालिका, अजमेर ग्रामीण पंचायत समिति, सभी पंचायत समिति, जिला परिषद सहित विभिन्न सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार पूरी तरह पसरा हुआ है। मोदी जी, आप किस-किसको रोकेंगे और किस-किसकी लगाम कसेंगे। ये भ्रष्टाचारी आगे-आगे दौड़ते रहेंगे और आप उनके पीछे-पीछे भागते रहिए। अच्छा आपको एक बात और बताएं।
यदि कोई व्यक्ति किसी कर्मचारी या अधिकारी को रिश्वत या कमीशन नहीं देता है, तो वे लोग उसे बुरी तरह आंख दिखाते हैं, धमकाते हैं और कार्य करने तथा बिल पास करने में रोड़े अटकाते हैं। कुछ अधिकारी और कर्मचारी तो यह पाठ भी पढ़ा देते हैं कि ’’क्या और कैसे काम करना है, यह तुम हमें सिखाओगे क्या’’, ’’हमें ज्यादा समझाने और कानून-नियम बताने की जरूरत नहीं है।’’
यदि कोई बेचारा गलती से ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों से ज्यादा आग्रह करे या यूं कहें, बहस करे, तो उसे राजकार्य में बाधा कानून के तहत मुकदमा दर्ज कराने और पुलिस को बुलाने की धमकी देने से भी नहीं चूकते हैं। पुष्कर के प्रदीप अग्रवाल जैसे हजारों-सैकड़ों ’’शूरवीर’’ राजस्थान और देश में भरे पड़े हैं। यकीन नहीं हो, तो आपके कुछ भरोसेमंद अधिकारियों को इन सरकारी विभागों में भेज कर देख लीजिए। लेकिन उन्हें इस हिदायत के साथ भेजिए कि वे बिना किसी पूर्व सूचना के साधारण नागरिक बनकर जाएं और पूरे माजरे को अपनी आंखों से देखें और कानों से सुनें। जैसे ही सच्चाई सामने आ जाए, उसे उसी वक्त पकड़ कर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो या पुलिस के हवाले कर दें।
ऐसे लोगों के साथ किसी भी तरह की नरमी नहीं बरती जाए। यही नहीं, जब ऐसे लोग भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा रंगेहाथों पकड़ लिए जाते हैं, तो फिर उन्हें सस्पेंड करने की बजाय सीधे नौकरी से निकाल देने की कार्यवाही क्यों नहीं की जाती है। यदि केंद्र और राज्य की सरकारें एक-दो मामलों में भी इस तरह की कार्यवाही को अंजाम दे दे, तो यकीनन, भ्रष्टाचार भले ही पूरी तरह समाप्त हो या नहीं, किंतु काफी हद तक लगाम लग जाएगी।
यह प्रयोग आप चाहें, तो अजमेर नगर निगम और अजमेर विकास प्राधिकरण सहित विभिन्न विभागों में कर सकते हैं। ऐसे लोगों को रिश्वत और कमीशनखोरी की ’’बहादुरी’’ के लिए यदि कोई प्रदेश स्तर और राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार हो, तो वह भी इन ’’शूरवीरों’’ को दिए जाने की शुरूआत करनी चाहिए।
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