सूरज नारायण पारीक महिला टीटी कॉलेज में पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय मालती देवी पारीक की 11वीं पुण्यतिथि मनाई गई।
इस अवसर पर महाविद्यालय सभागार में पुष्पांजलि कार्यक्रम रखा गया। प्रबंध समिति की अध्यक्ष ज्योति पारीक, निर्देशक प्रियंका पारीक व महाविद्यालय प्राचार्य उषा शर्मा ने मालती देवी पारीक के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की।
बीएड द्वितीय वर्ष की छात्राओ ने विभिन कार्यक्रम प्रस्तुत किये जैसे मां विषय पर कविता, गीत, भजन आदि की प्रस्तुति देकर सबको अभिभूत किया।
महाविद्यालय प्रबंधन समिति की अध्यक्ष ज्योति पारीक ने सभी को मालती देवी के आदर्शों पर चलने के लिए प्रेरित किया। गायत्री शक्तिपीठ के कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य सुरेश वैष्णव ने अपने विचार व्यक्त किये।
मालती देवी पारीक की पुण्य स्मृति में व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया गया । जिसमें सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय अजमेर के संस्कृत विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ आशुतोष पारीक ने संस्कृत व वर्तमान पाठ्यक्रम में संस्कृत की उपादेयता विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने संस्कृत भाषा के महत्व से सभी को अवगत कराया। डॉ पारीक ने विभिन्न सोशल मीडिया एवं डिजिटल संसाधनों की सहायता से संस्कृत भाषा को सरल तरीके से किस प्रकार समझाया जा सकता है और शिक्षण क्षेत्र की छात्राएं इसका प्रयोग कैसे कर सकती है इन बातों से रूबरू कराया। डॉ पारीक ने बताया की हमारे वेद और ग्रन्थए और साइंटिफिक रिसर्च भी ये बताती है की संस्कृत भाषा की जानकारी आज हमारी सबसे बड़ी जरुरत है ताकि हम अपने आने वाली पीढ़ियों को इससे अवगत करा सके।
पुष्पांजलि कार्यक्रम और व्याख्यान श्रृंखला में जयपुर से पवन कुमार पारीक समिति सदस्य एवं वरिष्ठ अधिवक्ता राजस्थान हाई कोर्ट तथा समिति सचिव सुनील पारीक एडवोकेट ने भाग लिया। पवन पारीक ने कार्यक्रम के अंत में डॉ आशुतोष पारीक द्वारा इतनी अच्छी और रोचक तरीके से संस्कृत को पढ़ाने एवं संस्कृत में नवाचार का प्रयोग कैसे करे इसकी जानकारी देने और छात्राओं का मार्गदर्शन करने के लिए धन्यवाद दिया एवं महाविधालय का स्मृतिचिन्ह एवं पारीक फार्म्स की नर्सरी से आम का पौधा भेंट किया।
डॉ आशुतोष पारीक ने अपनी लिखित पुस्तक “संस्कृत में नवाचार” महाविधालय परिवार को भेंट की।
कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य डॉक्टर आशुतोष पारीक एवं प्रबंध समिति के सदस्य व छात्राध्यापिकाओं द्वारा वृक्षारोपण किया गया।
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सीताराम गहलोत, पुष्कर |
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