उच्च शिक्षा में 50 फीसदी सकल नामांकन अनुपात का लक्ष्य हासिल करने के लिए विश्वविद्यालय बढ़ाएं अपनी पहुंच - राज्यपाल कलराज मिश्र
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने नई शिक्षा नीति के अंतर्गत उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात 50 फीसदी तक ले जाने का लक्ष्य वर्ष 2035 तक हासिल करने के लिए योजनाबद्ध एवं समन्वित प्रयास किए जाने पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए विश्वविद्यालयी शिक्षा की पहुंच कस्बों, गांवों और दूरस्थ क्षेत्रों तक बनानी होगी।
राज्यपाल मिश्र रविवार को वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा द्वारा आयोजित अखिल भारतीय खुला विश्वविद्यालय कुलपति सम्मेलन में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बालिकाओं की शिक्षा पर ध्यान देना आज सबसे अधिक जरूरी है, विश्वविद्यालय स्तर पर बेटियों को पढ़ाई के अधिकाधिक अवसर मुहैया कराए जाने चाहिए। उन्होंने वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय में अध्ययन करने वाली समस्त छात्राओं की फीस का शत-प्रतिशत पुनर्भरण राज्य सरकार द्वारा किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे बालिकाओं के नामांकन में काफी वृद्धि हुई है।
राज्यपाल ने कहा कि दूरस्थ शिक्षा प्रणाली जीवनपर्यंत शिक्षा से मनुष्य को जोड़े रखने के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यह ऐसी शिक्षा पद्धति है जिसमें किसी भी समय, किसी भी स्थान पर विद्यार्थी आवश्यकता के अनुसार शिक्षा ग्रहण कर सकता है। उन्होंने कहा कि महिला शिक्षा को बढ़ावा देने, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, आदिवासियों तथा दिव्यांगों, किसानों, औद्योगिक मजदूरों आदि को समान रूप से शैक्षिक अवसर प्रदान करने की दृष्टि से दूरस्थ शिक्षा का विशेष महत्व है।
राज्यपाल मिश्र ने कहा कि देश की नई शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं, कला व संस्कृति के संवर्धन आदि पर विशेष जोर दिया गया है। इस शिक्षा नीति का व्यावहारिक रूप में क्रियान्वयन कर शिक्षा व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन लाया जा सकता है । उन्होंने कहा कि खुला विश्वविद्यालय में सभी विषयों के ऐसे रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम विकसित किए जाने चाहिए जिससे युवा कौशल विकास और उद्यमिता से अपना भविष्य निर्माण कर सकें। उन्होंने भारतीय संस्कृति और संस्कारों के प्रति विद्यार्थियों को निकट लाने के लिए भी प्रयास किए जाने पर बल दिया।
राज्यपाल ने कहा कि मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा प्रणाली द्वारा कोविड के दौर में लाखों लोग घर बैठे ही लाभान्वित हुए, यही इस शिक्षा पद्धति की विशेषता है। उन्होंने वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय द्वारा सकल नामांकन अनुपात में बढ़ोत्तरी के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा में भविष्य की चुनौतियों और उनसे निपटने के प्रयासों और बाधाओं को दूर करने के बारे में विस्तृत रोड मैप बनाए जाने का सुझाव दिया ।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने अपने सम्बोधन में नई शिक्षा नीति के अंतर्गत मुक्त विश्वविद्यालयों में कोर्स आधारित शिक्षण व्यवस्था, अंतर्संकाय पाठ्यक्रम और मल्टीपल एंट्री एवं मल्टीपल एक्जिट की व्यवस्था सहित अन्य प्रावधान लागू करने के बारे में चर्चा की।
वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा के कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी ने अपने सम्बोधन में मुक्त विश्वविद्यालयों की चुनौतियों की चर्चा करते हुए 30 जून 2023 तक इन विश्वविद्यालयों द्वारा नैक रेटिंग प्राप्त करने की अनिवार्यता में शिथिलता दिए जाने की मांग की।
सम्मेलन में भारतीय ज्ञान परम्परा के पाठ्यक्रमों में समावेश, चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू करने, ड्रॉप आउट अनुपात में सुधार करने सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई। आरम्भ में राज्यपाल मिश्र ने संविधान की प्रस्तावना और मूल कर्त्तव्यों का वाचन किया।
सम्मेलन में देश के विभिन्न मुक्त विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण, प्रदेश के विश्वविद्यालयों के वर्तमान और पूर्व कुलपतिगण एवं शिक्षाविद् उपस्थित रहे।
इस खबर को AYN Team ने संपादित नहीं किया है, यह खबर राजस्थान सरकार के सुचना एवं जनसंपर्क विभाग के प्रेस रिलीज़ के अनुसार प्रकाशित की गई है।
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