मुख्य वक्ता प्रो. डॉ राजवीर कुलदीप ने सूक्ष्मजीव व टीबी रोग पर दी व्याख्या
(अजमेर) विश्व सूक्ष्मजीव दिवस 2025 के अवसर पर महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में सूक्ष्मजीव व टीबी रोग पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में रेस्पिरेटरी मेडिसन विभाग जे एल एन मेडिकल कॉलेज अजमेर व NTEP नोडल अधिकारी प्रो. डॉ राजवीर कुलदीप ने व्याख्यान दिया।
उक्त कार्यशाला में डॉ राजवीर कुलदीप ने "टीबी रोग और उससे आगे की सच्चाई उजागर करना" विषय पर एक विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किया, जिसमें तपेदिक (TB) की वैज्ञानिक, सामाजिक और चिकित्सीय जटिलताओं पर चर्चा की गई व साथ ही छात्र छात्राओ द्वारा प्रस्तुत किए गए पोस्टर, मॉडल्स व रचनात्मक गतिविधियों का अवलोकन किया गया।
कार्यशाला के एमडीएसयु की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की विभाग्याध्यक्ष डॉ मोनिका भटनागर व फैकल्टी सदस्यों ने डॉ राजवीर कुलदीप के साथ टीबी रोग के निदान, इलाज, उन्मूलन, रिसर्च आदि पर चर्चा की।
डॉ राजवीर ने बताया की पूर्व में टीबी रोग के निदान में काफी जटिलताएं थी क्योकि आधुनिक NAAT (Nucleic Acid Amplification Test) टेस्टिंग सुविधा सभी चिकित्सीय संस्थानों पर उपलब्ध नहीं थी परन्तु आज वर्तमान दौर में NAAT टेस्टिंग सुविधा प्रतिएक खंड स्तरीय समस्त चिकित्सा संस्थानों में यह जांच सुविधा उपलब्ध है व अजमेर शहर के 5 राजकीय चिकित्सा संस्थानों में यह जांच निशुल्क रूप से की जा रही है यदि बात करे निजी अस्पतालों की तो वहां इस NAAT जांच करवाने हेतु मरीज़ से 3 से 4 हज़ार रु का शुल्क लिया जाता है परन्तु समस्त राजकीय चिकित्सा संस्थानों में यह जांच निशुल्क रूप से की जाती है।
डॉ राजवीर के अनुसार चिकित्सा विभाग के राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत टीबी संभावित मरीज़ के निदान से लेकर इलाज व मरीज़ को पौष्टिक आहार दिए जाने तक का समस्त खर्चा सरकार द्वारा वहन किया जाता है क्योकि सरकार का लक्ष्य है की "देश से वर्ष 2025 तक टीबी रोग का उन्मूलन करना"।
गौरतलब है की केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक टीबी रोग के उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है इसी क्रम में पूरा चिकित्सा विभाग टीबी रोग के उन्मूलन हेतु मिशन मोड पर कार्य कर रहा है।
कार्यशाला के अंत में सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
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