भाषाओं की समृद्धि के साथ राष्ट्र विकास बने हम सबकी प्राथमिकता, भाषाओं की संस्कृति से जुड़े शोध संदर्भों के लिए कार्य हो — राज्यपाल
राजस्थान प्रदेश के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा है कि नई शिक्षा नीति मातृभाषाओं में शिक्षा के साथ शोध की मौलिक दृष्टि से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि भारत विविधता में एकता के साथ भाषाओं की समृद्ध विरासत से जुड़ा राष्ट्र है। शैक्षिक विकास के साथ 'विकसित भारत' की समृद्ध परम्परा हेतु भाषाओं की संस्कृति से जुड़े शोध संदर्भों के लिए सभी मिलकर कार्य करें।
बागड़े रविवार को डॉ. मफतलाल पटेल, अचला एजूकेशन ट्रस्ट द्वारा अहमदाबाद में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आलोक में 'भाषा साहित्य की शिक्षा और संशोधन: स्थिति एवं संभावनाएं' पर आयोजित सेमिनार में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्र हित हेतु ऐसी शिक्षा और ऐसे संस्कार देने जरूरी है जिनसे देश की तरक्की में ही विद्यार्थी स्वयं का हित देखे। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में भाषा साहित्य की पढ़ाई के लिए संसाधनों को बढ़ाने पर जोर दिया गया है। भाषाओं की विविधता में हर भाषा का अपना साहित्य है। यह हमारी संस्कृति और पहचान का हिस्सा है।
राज्यपाल ने कहा कि भाषा साहित्य—संशोधन सतत प्रक्रिया है। साहित्य भाषा का दर्पण है, और यह भाषा में होने वाले परिवर्तनों को दर्शाता है। उन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ साथ राष्ट्रीयता के सरोकारों के लिए भी सभी को मिलकर कार्य किए जाने पर जोर दिया।
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