(जयपुर) राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन राजस्थान, पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ एवं डवलपमेंट पार्टनर यूएनएफपीए के संयुक्त तत्वावधान में प्रदेश में 12 जिलों के जिला अस्पतालों में मातृ स्वास्थ्य विषय पर हुए अध्ययन के निष्कर्षों एवं साक्ष्य आधारित अनुभवों को साझा करने के लिए बुधवार को राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों एवं जिला अस्पतालों के अधीक्षकों, प्रमुख चिकित्सा अधिकारियों तथा स्त्री रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया।
कार्यशाला में लेबर रूम प्रोटोकाल विषय पर फ्लिप बुक, पीएनसी–ईपीएमएसएमए विषय पर पोस्टर एवं फेरिक कार्बोक्सी माल्टोज पर अक्सर पूछे जाने वाले सवालों पर फोल्डर का विमोचन किया गया। साथ ही लक्ष्य कार्यक्रम के तहत जिलों में कार्यरत कार्मिकों को प्रमाण पत्र प्रदान किए।
मिशन निदेशक एनएचएम डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के मार्गदर्शन में प्रदेश में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रमों का प्रभावी संचालन किया जा रहा है। इन कार्यक्रमों के सुचारू क्रियान्वयन से सुरक्षित प्रसव एवं धात्री महिला तथा नवजात शिशु की बेहतर देखभाल सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने प्रसव के लिए चिकित्सा संस्थान स्तर पर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए अनावश्यक रैफरल नहीं करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रसव का उचित प्रबंधन कर मातृ मृत्यु दर में काफी हद तक कमी लाना संभव है। उन्होंने बताया कि एनीमिया मुक्ति के लिए हर मंगलवार को शक्ति दिवस कार्यक्रम का सफल संचालन कर आयरन फोलिक की गोलियां वितरित की जा रही हैं।
निदेशक आरसीएच डॉ. सुनीत राणावत ने पीजीआई के विषय विशेषज्ञों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुभवों एवं पायी गयी कमियों को दूर करने के लिए अपनाये जाने वाले सुधारात्मक उपायों को ग्राम स्तर तक पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अस्पताल में चिकित्सक एवं नर्सिंग स्टाफ को मरीज के साथ संवेदनशील तरीके से संवाद स्थापित कर उपचार में सहयोग देना चाहिए। परियोजना निदेशक मातृ स्वास्थ्य डॉ. तरुण चौधरी ने कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी।
कार्यशाला में पीजीआई चंडीगढ़ के पीएसएम विभाग की प्रमुख एवं वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. मधु गुप्ता ने जिलों के चिकित्सा संस्थानों में होने वाली मातृ मृत्यु के कारणों के विश्लेषण पर चर्चा की। साथ ही अध्ययन के उद्देश्यों एवं प्रसव के समय गर्भवती महिला को रैफर करने वाले कारणों पर भी विस्तार से जानकारी प्रदान की। सहायक प्रोफेसर डॉ. आशिमा अरोड़ा ने चिकित्सा संस्थान आधारित मातृ मृत्यु की निगरानी एवं प्रतिक्रिया तंत्र विषय पर प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया।
प्रोजेक्ट मैनेजर डॉ. किरनजीत कौर ने समुदाय आधारित मातृ मृत्यु की निगरानी एवं प्रतिक्रिया, चिकित्सकों, नर्सिंग सेवा से जुड़े कार्मिकों की धारणाएं विषय पर प्रजेंटेशन दिया। डॉ. वनिता जैन ने मातृ मृत्यु दर के परिदृश्य, विश्लेषण एवं इसकी रोकथाम हेतु किए जाने वाले उपायों पर विस्तार से चर्चा की। डॉ. अभिनव अग्रवाल ने अध्ययन के आधार पर मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम को और बेहतर बनाने के लिए तैयार की गयी आगामी कार्ययोजना से अवगत कराया।
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