डिजाइन, थिंकिंग, आर्ट ऑफ आस्किंग, द राइट टू क्वेश्चन, करियर काउंसलिंग, नेशनल करीक्यूलम, फ्रेम वर्क, जादुई पिटारा, चेलैंजिंग ऑफ पेरेंट्स आदि विषयो पर हुई कार्यशाला
अजमेर के प्रेसीडेंसी स्कूल के चेयरमैन जी एस सिंघवी ने बताया की सेमिनार और कार्यशालाएं छात्रों के व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और उनके करियर में उनकी मदद करती हैं।
बदलते शैक्षिक वातावरण के अनुकूल होने के लिए शिक्षको को समय समय पर नवीन शिक्षण विधियों से अवगत करवाना आवश्यक होता है जो उन्हें अधिक को सक्षम बनाता है।इसी के मध्यनजर प्रेसीडेंसी स्कूल अजमेर में विद्यार्थियों के कौशल विकास के उद्देश्य से महत्वपूर्ण कार्यशालाओं का आयोजन हुआ, जिसके मुख्य वक्ता ए.पी. शर्मा रहे, जो अपनी प्रभावशाली साख और महिला सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हैं।
विद्यालय की प्रधानाचार्या सुमहेंद्रा कँवर ने अतिथि वक्ता को पौधा भेंट कर स्वागत किया।प्रथम सत्र में कक्षा छठीं से बारहवीं के विद्यार्थियों के लिए 'डिजाइन थिंकिंग' कार्यशाला का शुभारंभ पावर पाॅइंट प्रस्तुति के साथ हुआ।
इस कार्यशाला से छात्रों में रचनात्मकता, समस्या-समाधान और लचीलेपन की भावना को बढ़ावा दिया, जिन्होंने चुनौतियों को स्वीकार किया और अनुक्रमिक सोच, अनुभूति और सहानुभूति के मूल सिद्धांतों को सीखा।
इसके पश्चात बातचीत सत्र में शर्मा ने समस्या समाधान गतिविधियों के माध्यम से छात्रों का मार्गदर्शन किया जिससे उन्होंने टीम वर्क के साथ अध्ययन के नवीन और आसान तरीके सीखे।
द्वितीय सत्र में ' आर्ट ऑफ आस्किंग क्वैस्शन ' सभी शिक्षक गण को सामूहिक और रोचक गतिविधियों के माध्यम से जैसे- आहा-ओहो, प्रश्न- क्या, कौन, कैसे, स्नो बाॅल मैैथड, लाॅलीपाॅप स्टिक आदि।
इन तरीकों का प्रयोग कर कक्षा के प्रत्येक विद्यार्थी को अपने स्वविवेक से उत्तर देने का अवसर मिलता है। I
प्रतिष्ठित वक्ता ए.पी शर्मा के द्वारा कक्षा नवीं से बारहवीं के छात्रों के लिए 'करियर काउंसलिंग' विषय पर प्रभावी कार्यशाला का आयोजन हुआ। जिसके अंतर्गत भावी युवा पीढ़ी को 21वीं सदी में लक्ष्य प्राप्ति के लिए आवश्यक कौशल सीखने के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान की।
छात्र करियर योजना के प्रति शर्मा के समग्र दृष्टिकोण से प्रेरित हुए, जिसमें न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता बल्कि जीवन विकास के भी नवीन आयाम सुझाते हुए लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने केे लिए प्रेरित किया।I
प्राथमिक कक्षा के शिक्षकों के लिए 'जादुई पिटारा ' कार्यशाला का आयोजन किया गया।
सम्मानित वक्ता ए.पी शर्मा ने रोचक गतिविधियों के माध्यम से नवीन जानकारियाँ प्रदान की और बताया कि जादुई पिटारा 3 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए डिज़ाइन की गई इंटरैक्टिव शिक्षण सामग्री का खजाना है। यह बच्चों की जिज्ञासा जगाने, मूलभूत कौशल विकसित करने और सीखने के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने के लिए कहानियों, गीतों, खेलों और गतिविधियों का उपयोग करके "खेल के माध्यम से सीखने" की अवधारणा को बढ़ावा देता है।
नेशनल करीक्यूलम फ्रेम वर्क 'विषय पर कार्यशाला का आयोजन हुआ। जिसमें विद्यालय के अध्यापकगण उपस्थित रहे। सत्र की शुरुआत रोचक गतिविधियों के साथ हुई। जिसमें अध्यापक को पूर्ण आत्मविश्वास से अपने दायित्वों का निर्वहन करते हए आत्मीयता से अध्यापन कार्य करना चाहिए।
उन्होंने बताया राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) एक मार्गदर्शक दस्तावेज है जो शिक्षा प्रणाली को बदलने के लिए लक्ष्यों, सिद्धांतों और उद्देश्यों को रेखांकित करता है। यह पाठ्यक्रम विकास, गुणवत्तापूर्ण शिक्षण पद्धतियों और मूल्यांकन प्रथाओं के लिए एक रोडमैप प्रदान करता है।
एनसीएफ का उद्देश्य न केवल शैक्षणिक ज्ञान बल्कि 21वीं सदी के कौशल, मूल्यों और छात्रों के समग्र विकास पर जोर देकर समग्र विकास को बढ़ावा देना है। एनसीएफ स्कूलों में समावेशिता और समानता पर जोर देता है, यह सुनिश्चित करता है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सभी शिक्षार्थियों के लिए सुलभ हो, उनकी विविध आवश्यकताओं को पूरा करें।
20 अगस्त को 'चैलेंजिस ऑफ पेरेंट्स' कार्यशाला का आयोजन हुआ जिसमें अजमेर, किशनगढ़ व सी.बी.एस.ई ब्रांच के प्री प्राइमरी विंग के अभिभावक गण सम्मिलित हुए।
मुख्य वक्ता डॉ ए.पी. शर्मा (प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक और पेरेंटिंग कोच) ने आधुनिक पेरेंटिंग की चुनौतियों से निपटने के लिए बहुमूल्य अंतर्दृष्टि और व्यवहारिक सुझाव साझा किए जैसे- आत्म देखभाल को महत्व देना, बच्चों में डिजिटल लत के लिए रणनीतियाँ, बच्चों में आत्मविश्वास जागृत करने के तरीके, प्रभावी संचार, समस्या समाधान के तरीके आदि बिंदुओं पर अपने सुझाव साझा किए।
No comments:
Post a Comment