श्रद्धा का नाम ही श्राद्ध है एक वर्ष में 16 दिन श्रद्धा के होते हैं पण्डित कैलाश नाथ दाधीच ने बताया कि इस बार 17 दिन के श्राद्ध रहेंगे। तिथियां में अष्टमी की वृद्धि है चतुर्थी तिथि का टूटी हुई है 10 अक्टूबर एकादशी के दिन कोई श्रद्धा नहीं है 29 सितंबर 2023 से 15 अक्टूबर 2023 तक 17 दिन श्रद्धा रहेंगे 15 अक्टूबर सन 2023 को नाना नानी का श्रद्धा होने के बाद नवरात्रि पूजन घट स्थापना लिखा है सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर सन 2023 को रहेगी इस दिन सभी पितरों के नाम से जिनकी तिथि या तारीख मालूम नहीं है उन सभी मृत आत्माओं के लिए नारायण बलि पिंड प्रधान तर्पण मार्जन दान पुण्य करने का विधान लिखा हुआ है।
महाभारत के पर्व में वर्णित है कि राजा करण प्रतिदिन सवा मन सोना दान करता था मगर इसके अलावा कोई कार्य नहीं किया स्वर्ग में जाने पर केवल मात्र सोना ही मिला राजा कर्ण ने भगवान नारायण से प्रार्थना की भगवान नारायण ने करण को पृथ्वी लोक पर भेज कर श्राद्ध पर्व का कार्य करवाया राजा करन ने श्राद्ध पक्ष में दान पुण्य हवन पूजन कुआ बावड़ी धर्मशाला मंदिर आदि के निर्माण किया और अपने पूर्वजों के नाम से इन श्राद्ध पक्ष में पितरों की मोक्ष गति के लिए श्राद्ध किया जिससे पितरों की मोक्ष गाती हुई।
पितृ प्रसन्न हुए श्राद्ध पक्ष करने से राजा करण को मोक्ष गति मिली एवं नारायण के चरणों में स्थान मिला पूर्णिमा का श्राद्ध 29 सितंबर 23 को रहेगा प्रतिपदा एवं दूज का श्राद्ध 30 सितंबर तृतीया का श्राद्ध 1 अक्टूबर को चतुर्थी का श्राद्ध 2 अक्टूबर को पंचमी का श्राद्ध 3 अक्टूबर को छठ का श्राद्ध 4 अक्टूबर को सप्तमी का श्राद्ध 5 अक्टूबर को अष्टमी का श्राद्ध 6 अक्टूबर को नवमी का श्राद्ध 7 अक्टूबर को दसवीं का श्राद्ध 8 अक्टूबर को एकादशी का श्राद्ध 9 अक्टूबर को द्वादशी का 11 अक्टूबर को त्रयोदशी का 12 अक्टूबर को चतुर्दशी का श्राद्ध 13 अक्टूबर को एवं सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर को 15 अक्टूबर को नाना नानी के श्राद्ध के बाद शारदीय नवरात्रि घट स्थापना होगी शास्त्रों में श्रद्धा तिथि के अनुसार ही करना चाहिए श्रद्धा के दिन दाढ़ी बनाना बाल काटना नक काटना साबुन लगाना कपड़े धोना गुस्सा करना नहीं चाहिए ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए एवं तामसी भोजन नहीं करें प्याज लहसुन का प्रयोग नहीं करें पितरों के नाम से तर्पण मार्जन तीर्थ में नदियों में समुद्री में या कुआ बावड़ी पर अवश्य करें विष्णु सहस्त्रनाम गीता पाठ श्रीमद् भागवत का पाठ पितृ संगीता का पाठ नारायण मंत्र का जाप अवश्य करें अथवा करवाए रोजाना सूर्य को अर्क देना पीपल में जल चढ़ाना तिल जो तुलसी पत्र पुष्प डब का प्रयोग अवश्य करें दिन में 12:00 बजे तक ब्राह्मणों को परिवार जनों को अतिथि जनों आमंत्रित सदस्य को भोजन वस्त्र फल बर्तन दक्षिण चरण पादुका प्रणाम करके प्रदान करें कौवा को स्वान को गाय को अतिथि को एवं कीट पतंग को पंच ग्रास दान अवश्य करें पंडित कैलाश नाथ गोपीनाथ दाधीच पुष्कर राज।
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Sitaram Gehlot |
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