राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लैब टेक्नीशियन संवर्ग की बहू प्रतीक्षित मांग पदनाम परिवर्तन को मंजूरी प्रदान कर दी है।
प्रदेश में अब लैब टेक्नीशियन को मेडिकल लैब टेक्नोलॉजिस्ट, सीनियर टेक्निशियन को सीनियर मेडिकल लैब टेक्नोलॉजिस्ट, तकनीकी सहायक को टेक्निकल ऑफीसर व वरिष्ठ तकनीकी सहायक को लैब सुपरिटेंडेंट के पदनाम से जाना जाएगा।
अधिक जानकारी देते हुए अखिल राजस्थान लैब टेक्नीशियन कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ दिलीप सिंह राठौड़ ने बताया की कोरोनासंक्रमण काल में प्रदेश के लैब टेक्नीशियन ने जो कोविड सैम्पलिंग व कोविड जांच कार्य किया उससे देशभर में लैब टेक्नीशियन को एक अलग ही पहचान मिली।
लैब टेक्नीशियन कैडर ने अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोनासंक्रमण काल में सैम्पलिंग व जांच कार्य किया उससे पुरे देश में में भीलवाड़ा व जयपुर रामगंज मॉडल स्थापित हुआ।
सन 1965 की शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक योग्यता से लैब टेक्नीशियन संवर्ग के पदनाम चले आ रहे थे, 2003 में योग्यता में संशोधन तो हुआ लेकिन पदनाम परिवर्तन नहीं हुआ। आज केडर की शैक्षिक और प्रशिक्षण योग्यता 12वीं साइंस सहित डिग्री व डिप्लोमा है, जिसको देखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है।
लैब टेक्नीशियन संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ दिलीप सिंह राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का धन्यवाद प्रकट करते हुए बताया कि संवर्ग में पदनाम परिवर्तन से कैडर में खुशी की लहर है।
राठौड़ के अनुसार इस हेतू आगामी मंगलवार को लैब टेक्नीशियन कैडर द्वारा ड्यूटी समय के पश्चात् 2 घंटे अतिरिक्त कार्य किया जाएगा जिसके अंतर्गत लैब में जांच कार्य किया जाएगा।
राठौड़ ने बताया की वह गांधीवादी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गांधीवादी तरीके से मरीज हित सर्वोपरि मानकर धन्यवाद प्रकट करेंगे।
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