Sunday, June 18, 2023

परिवार की रक्षा पापा से - प्रतिभा शर्मा


 "हैप्पी फादर्स डे"

 

Written by Pratibha Sharma

Email : pratibhasharmaggca@gmail.com

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Father's Day Special by Pratibha Sharma 

एक बच्चा अपने पिता के प्यार, कर्तव्य व समर्पण को देखकर सोचता है की एक ऐसा दिन हो जब हर बच्चे के दिल में जो उसके पिता के प्रति प्यार प्यार है उसे उत्सव के रूप में मना कर बयान कर सके।
 

1966  में अमेरिका के राष्ट्रपति लिडन जॉनसन ने फादर्स डे मनाने की घोषणा की।
1972  अमेरिका में जून महीने के तीसरे रविवार को पहली बार फादर्स डे मनाया गया ।
उसी दिन से ही सभी देशों में फादर्स डे मनाया जाने लगा ।


"परिवार की रक्षा पापा से"
एक पिता ही है जो हर पल खुद से पहले परिवार और बच्चों के लिए सोचते हैं।
एक पिता ही है की वो जो भी करते है अपने बच्चों के लिए करते है।
खुद के लिए कभी नहीं सोचते। पापा ही है जिन्होंने अच्छे बुरे की समझ दी।
पापा ही है वह जो शाम को घर आते पूछते है की क्या किया आज पुरे दिन, पढ़ाई करी या नहीं करी?  

मेरा हां में सिर हिलाना और पापा का कहना सुनाओ क्या पढ़ा तुमने और सुनाते वक्त मेरा अटकना व फिर उनका समझना कि इसे ऐसे नहीं इस तरह से लिखते है व मैं लिख कर देता हूं। ऐसे पढ़ फिर तुम्हें याद हो जाएगा। और सच में याद हो भी जाता है। 

अभी तो मैं कुछ पढ़ाई नहीं करती बस उनके घर आने का इंतजार करती हु कि वह लिख कर देंगे तब ही पढ़ूंगी।
पापा भी रोज घर आते ही बिना कुछ खाए पिए पहले मुझे पढ़ाते है।
उसके बाद फिर खाना खाते है।
पापा जिस दिन घर पर रहते है, उस दिन खुद के हाथ का खाना बना कर मुझे खिलाते है।
वही है जिन्होंने मुझे रोटी बनाना सिखाया।
मैंने खाना बनाना आज पापा से ही सीखा है।
पापा ही है जिन्होंने मेरा हर पल साथ दिया है।
एग्जाम मेरे होते थे पर वह रात भर मेरे साथ जगा करते थे।
सुबह एग्जाम दिलवाने साथ लेकर जाते थे। एग्जाम देकर आते ही पापा का पूछना की एग्जाम कैसा हुआ ।
मेरा कहना की ठीक-ठाक हुआ कहना और पापा का प्यार से कहना की सब अच्छा होगा तू परेशान मत हो। उनका यह बोलना मुझे चिंता से मुक्त करता है।
 

पापा का वह प्यार छुपाए ना छुपता।
उनका यह प्यार अनमोल अतुल्य है।

तो फिर क्यों नहीं एक बेटी अपने पिता के साथ जिंदगी भर रह सकती है?
 

एक सच्ची घटना

एक दिन की बात है जब मैं ऑटो में अपने कॉलेज जा रही थी।
उसी ऑटो में दादा जी बैठे थे।
और वो वकील साहब से बात कर रहे थे।
की मेरे बच्चों ने मुझे घर से निकाल दिया है।
आप कुछ ऐसा करो कि मैं अपने बच्चों के साथ रह सकूं।
जब तक जिंदा हूं उन्हें प्यार करता रहूं।
उनकी आंखों के आंसू उन्हें उनके बच्चों के साथ रहने की लालसा बयान कर रहे थे।
यह देखकर मेरी आंखों में भी आंसू आ गए।
मुझे भी यह सब सुनकर बहुत गुस्सा आ रहा था व उसी के साथ बहुत दुःख भी हो रहा था।
की कैसे बच्चे हैं की अपने बूढ़े पिता को घर से निकाल दिया।
एक पिता जिन्होंने जिंदगी भर जो भी किया अपने बच्चों के लिए किया। खुद से पहले अपने बच्चों के लिए सोचा।
अब काबिल बन गए तो उन्हें अपने पिता की कोई जरूरत नहीं।
जैसे बचपन में बच्चों को अपने मां-बाप की जरूरत होती है।
वैसे ही बुढ़ापे में भी मां-बाप को अपने बच्चों की जरूरत होती है। उस समय उन्हें बच्चों का प्यार व साथ  चाहिए होता है। और इसके कुछ नही।
आज सभी एक वादा करेंगे की कभी भी अपने मां-बाप को छोड़कर नहीं जाएंगे और कभी उन्हें घर से नहीं निकलेंगे।
मां-बाप घर में है तो ही तो वह घर एक परिवार है नहीं तो वह घर सिर्फ एक ईट व सीमेंट का ढांचा है।
जब परिवार साथ है तो हर दुख छोटा लगने लगता है और हर खुशी बड़ी हो जाती है।


"हैप्पी फादर्स डे"

Father's Day Image Credit : Freepik

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक (प्रतिभा शर्मा) के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति AYN NEWS उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं लेखक द्वारा उपलब्ध करवाई गई ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना, तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार AYN NEWS के नहीं हैं तथा AYN NEWS उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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